लोहाघाट का नाम आते ही मन और मस्तिष्क पर एक खूबसूरत तस्वीर उभरती है जिसमें शिवाले से बहती हुई खूबसूरत लोहावती नदी और चारों देवदार के सुंदर वृक्ष। पर पिछले 10- 15 सालों में अंधाधुंध गति से भवनों का निर्माण बिना किसी प्लानिंग से किया गया है जिससे लोहावती नदी नाले में और देवदार के पेड़ों को सुखाने का काम तीव्र गति से हुआ है। एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार अब तक शहर के लगभग 50 परसेंट पेड़ों को सुखाकर काटा जा चुका है और दुर्भाग्य की बात यह है कि जनता, प्रशासन, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट सभी लोग सोए हुए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान एसडीम कोर्ट से लगे हुए मीना बाजार और आदर्श कॉलोनी में रिपोर्ट किया गया है। आदर्श कॉलोनी में तो यह काम अभी भी जारी है।
एक और हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी सारे देश से अपील करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं वहीं दूसरी ओर लोहाघाट के आदर्श कॉलोनी के लोग इन विशालकाय सुंदर देवदार के पत्नी को सुखाने के काम में लगे हुए हैं। मैंने जब यह बात अपने एक मित्र को बताएं तो उसने मुझे इसका कारण फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का लचीला रुख बताया जो इन लोगों पर कार्रवाई नहीं करता है। जब इन पेड़ों को सुखाकर काटा जाता है तो वह वह लकड़ी कहां जाती है इसका अभी तक कोई हिसाब-किताब कहीं पर नहीं दिया गया।
है।
लोगों द्वारा अतिक्रमण करके जहां भी जमीन मिली पेड़ों के बीच में चाहे 10 फीट की जमीन हो वहां पर कॉंक्रीट के घर खड़े कर दिए हैं और नगर पंचायत कोई भी एक्शन लेने में नाकाम रही है।
एक और हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी सारे देश से अपील करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं वहीं दूसरी ओर लोहाघाट के आदर्श कॉलोनी के लोग इन विशालकाय सुंदर देवदार के पत्नी को सुखाने के काम में लगे हुए हैं। मैंने जब यह बात अपने एक मित्र को बताएं तो उसने मुझे इसका कारण फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का लचीला रुख बताया जो इन लोगों पर कार्रवाई नहीं करता है। जब इन पेड़ों को सुखाकर काटा जाता है तो वह वह लकड़ी कहां जाती है इसका अभी तक कोई हिसाब-किताब कहीं पर नहीं दिया गया।
है।
लोगों द्वारा अतिक्रमण करके जहां भी जमीन मिली पेड़ों के बीच में चाहे 10 फीट की जमीन हो वहां पर कॉंक्रीट के घर खड़े कर दिए हैं और नगर पंचायत कोई भी एक्शन लेने में नाकाम रही है।
No comments:
Post a Comment